शिक्षा
बचाओ -
स्कूल
बचाओ
अभियान,
राजस्थान
पता
- 80/200, पटेेल
मार्ग,
मानसरोवर,
जयपुर -302020
दिनांक:
13.10.2014
स्कूलों
का
एकीकरण
खत्म
करों
और
बस्ती-बस्ती
में
शिक्षा
अधिकार
लागू
करो।
प्रेस
विज्ञप्ति
आज
17129 स्कूलों
के
एकीकरण
के
विरोध
में
स्टेच्यू
सर्किल
पर
एक
प्रदर्शन
किया
गया।
प्रदर्शन
का
मकसद
था
कि
जयपुर
शहर
व
जिला,
सिरोही,
पाली,
उदयपुर,
राजसंमद,
हनुमानगढ़,
डूंगरपुर,
अलवर,
अजमेर
इत्यादि
जिलो
से
जो
कार्यकर्ता
प्रतिनिधी
आये
थे
वे
अपनी
बात
ज्ञापन
के
जरिये
सम्बन्धित
मंत्री
व
अधिकारी
को
पहुंचाना
चाहते
थे।
अफसोस
की
बात
रही
की
पंचायती
राज
शासन
सचिव
को
छोड़
कर
कोई
भी
सम्बन्धित
मंत्री
या
अधिकारी
नहीं
मिला।
मुख्यमंत्री
सींगापुर
गई
हुई
थी,
व
पंचायती
राज
व
शिक्षामंत्री,
मंत्री
व
शिक्षा
सचिव
दिल्ली
गये
हुये
थे।
मांग
थी
कि
बेहतर
व
गुणवत्तापूर्ण
षिक्षा
प्रदेष
के
प्रत्येक
बच्चे
को
मिले,
के
पक्षधर
हम
वर्तमान
एकीकरण
की
प्रक्रिया
को
तुरन्त
प्रभाव
से
रोका
जाये
व 17
हजार
स्कूलों
को
पुनः
खोला
जाये।
और
अगर
कुछ
स्कूलों
का
एकीकरण
करना
आवष्यक
लगता
है
तो
एकीकरण
से
पूर्व
सर्वे/अध्ययन
तथा
स्कूल
मैपिंग
का
कार्य
किया
जाना
चाहिए
तथा
स्थानिय
निकाय
एवं
शाला
प्रबंधन
समितियों
के
साथ
ही
समुदाय/अभिभावक
के
साथ
विमर्ष
कर
एकी
करण
का
कार्य
किया
जाना
चाहिए
जिससे
कोई
बच्चा
शिक्षा
से
वंचित
न
रह
जाये।
पंचायती
राज
शासन
सचिव
ने
जरूर
आश्वसन
दिया
कि
जो
स्कूल
एकीकरण
के
बावजूद
भी
समुदाय
के
बल
पर
चलाये
जा
रहे
है,
जो
कि
अनेक
स्कूल
इस
तरह
के
है,
उन
स्कूलों
में
मध्यान्ह
भोजन
तत्काल
शुरू
करेंगे।
प्रतिनिधी
मंडल
में
बी.जी.वी.एस.
से
कोमल
श्रीवास्तव,
महिला
आंदोलन
से
ममता
जैटली,
बाल
अधिकार
संरक्षण
मंच
से
शिव
सिंह
और
पी.यू.सी.एल.
के
इर्न्टन
तनीष
थे।
सभा
को
सम्बोन्धित
करते
हुये
कुम्भलगढ़
से
आये
पारस
बंजारा
ने
बताया
कि
जो 50
स्कूलो
का
अध्ययन
ब्लॉक
में
किया
उसमें
यह
पाया
गया
कि
आधे
स्कूलो
के
बच्चें
एकीकरण
के
कारण
स्कूल
जाना
बन्द
कर
दिया
है
और
वे
सभी
बच्चे
गरीब
आदिवासी
बच्चे
है।
इसी
प्रकार
सिरोही
से
आये
अशोक
यादव
ने
बताया
कि
सभी
दूर
दराज
डूंगर
में
बसे
स्कूलों
पर
एकीकरण
की
मार
पडी
और
पहाड़ीयों
में
बसे
बच्चों
को
अब
स्कूल
नहीं
मिलेगां।
अजमेर
से
अल्लारिपू
के
शिव
ने
बताया
कि
जितने
भी
स्कूल
सिलोरा
ब्लॉक
में
एकीकरण
से
प्रभावित
हुये
उससे
लड़कियों
का
अब
स्कूल
जाना
मुश्किल
हो
गया
है
क्योंकि
बालिका
स्कूल
बन्द
कर
दिये
गये
है
और
लड़कों
के
स्कूल
में
समावेशित
कर
दिये
है
जिससे
लड़कियों
का
स्कूल
जाना
बन्द
हो
गया
है।
धानक्या
बस्ती,
झोटवाड़ा,
जयपुर
शहर
की
फरीदा
बानो
ने
बताया
कि
बहुत
मेहनत
से
उसने 165
बच्चों
जिसमें
अधिकांश
मुसलमान
लड़किया
थी
को
स्कूल
भेजने
का
प्रयास
किया।
धानक्या
बस्ती
में
सरकार
ने
स्कूल
का
कोई
भवन
निर्माण
नहीं
किया
था।
जिससे
बस्ती
के
लोग
मंदिर
के
भवन
में
स्कूल
चलाने
की
जगह
दी।
यह
स्कूल
समावेशित
प्रक्रिया
में 2
किलोमिटर
दूर
रेगर
बस्ती
के
लड़को
के
स्कूल
में
समावेशित
कर
दिया
गया।
जिससे 80
प्रतिशत
लड़कियों
का
अब
जाना
बन्द
हो
गया
है।
उन्होंने
कहा
कि
पूरी
बस्ती
चाहती
है
कि
स्कूल
दूबारा
वहीं
मंदिर
में
ही
शुरू
हो
जाये।
धानक्या
बस्ती
ने
दरअसल
शिक्षा
के
जरियें
भाई-चारे
की
मिसाल
दिखाई।
सभा
को
सम्बोन्धित
करते
हुये
बी.जी.वी.एस.
की
कोमल
श्रीवास्तव
ने
बताया
कि
सरकार
के
इस
निर्णय
से
लगभग 10
लाख
बच्चे
व
हजारों
शिक्षक
प्रभावित
हुए
हैं।
षिक्षा
का
अधिकार
कानून
जहां
प्रत्येक
बच्चे
के
लिए 1
एवं 2
किलोमीटर
में
स्कूल
मुहैया
करवाने
की
बात
करता
है,
वहीं
राजस्थान
सरकार
का
यह
निर्णय
बच्चों
के
षिक्षा
के
अधिकार
का
भी
हनन
करता
है।
स्कूल
समायोजन
से
बालिका
एवं
वंचित
तथा
पिछडे
तबकों
के
बच्चों
की
षिक्षा
को
सबसे
अधिक
झटका
लगा
है
तथा
ये
सबसे
अधिक
प्रभावित
हुए
हैं।
दूसरी
और
जहां
भाषाओं
को
सरंक्षण
देने
का
कार्य
षिक्षा
के
माध्यम
से
किया
जा
रहा
था
वहीं
इस
एकीकरण
के
माध्यम
से
इस
प्रकार
के
स्कूलों
का
एकीकरण
हो
गया
है
जहां
किसी
न
किसी
एक
भाषा
के
साथ
अन्याय
होगा
ही
।
इसके
अलावा
किसान
सभा
के
संजय
माधव,
एस.आर.
अभियान
के
मुकेश
गोस्वामी,
शिक्षाविद
राजाराम
भादू
ने
सभी
ने
स्कूलों
को
पूनःस्थापित
करने
की
मांग
रखी।
उन्होंने
इस
बात
पर
भी
आगाह
कि
अब
राजस्थान
सरकार
शिक्षा
का
अधिकार
कानून 2009
को
सम्पूर्ण
रूप
से
बदल
रहे
है।
भारत
ज्ञान
विज्ञान
समिति
एवं
पीयूसीएल
इंटर्म
द्वारा
जयपुर
के 71
स्कूलों
में
अध्ययन
किया
गया
था
जिसमें 31
आदर्ष
स्कूल
हैं
जिनमें 40
स्कूलों
को
मर्ज
किया
गया
है।
यह
अध्ययन
जो
कि
जयपुर
शहर
का
ही
अध्ययन
है
उसमें 60
प्रतिषत
मर्जर
स्कूलों
में 40
प्रतिषत
बच्चों
ने
निम्न
के
कारण
स्कूल
आना
बन्द
कर
दिया
है। 41
स्कूलों
में
से 14
स्कूल
ऐसे
हैं
जहा
लगभग 100
प्रतिषत
बच्चों
ने
स्कूल
आना
बन्द
कर
दिया
है।
अध्ययन
से
उभरे
मुख्य
बिन्दू
इस
प्रकार
से
है -
- दलित
बस्तियों
में
चल
रहे
स्कूलों
को
बन्द
कर
दबंग
सवर्ण
जाति
के
मौहल्ले
में
चल
रहे
स्कूलों
के
साथ
समावेश
किया
गया
जिससे
दलित
बच्चें
को
जातिगत
भेदभाव
के
कारण
अब
स्कूल
तक
नहीं
पहुंच
पा
रहे
हैं।
- केवल
बालिकाओं
के
लिए
चल
रहे
स्कूल
को
सहशिक्षा
के
स्कूल
में
समावेशित
किया।
-
अल्पसंख्यक
बस्तियों
में
चल
रहे
स्कूल
को
बहुसंख्यक
हिन्दू
इलाके
में
चल
रहे
स्कूल
में
समावेश
किया
जिससे
बहुत
सारे
अल्पसंख्यक
बच्चे
नहीं
आ
रहे।
-
समावेशित
स्कूल
जिस
आदर्श
स्कूल
के
साथ
जोड़ा
गया
है
के
दोनों
के
बीच
दूरी
एक
किलोमीटर
से
अधिक
है
तो
कहीं
चार
किलोमीटर
से
भी
अधिक
है।
-
भाषा
के
माध्यम
के
बदलाव
की
समस्या:
उर्दू
माध्यम
को
हिन्दी
माध्यम
में
शिक्षा
दी जाती
है
जिससे
बच्चों
को
पढ़ने
में
दिक्कत
आ
रही
है।
SCHOOL REPORT
हम
है:-
कोमल
श्रीवास्तव -9414078740,
विष्म्भर
ब्यास -9460271215,
कविता
श्रीवास्तव -9351562965,
डॉ.
राजीव
गुप्ता -
9414053641, ममता
जेतली -9829068744